Wednesday, January 19, 2011

बन्जारे आंसू...


आंसुओं को अलविदा कह दिया है, अब इन आँखों ने इनके बिना जीना सीख लिया है!

आँखों के रास्ते बह जाते थे जो आंसू, बिना लफ़्जों के बहुत कुछ बयां कर जाते थे वो आंसू!

इनकी ग़ैर हाज़िरी में अब इन आँखों ने भी ख़ामोश रहना सीख लिया है!

दिल के दर्द को अपने आग़ोश में समेट कर बह जाते थे जो आंसू, मेरे हर ज़ख्म की चोट को यूँ ही सह जाते थे जो आंसू,

झूठे इल्जामों के तले गुनहगार की तरह कुचले से रह जाते थे जो आंसू,

किस्मत के मारे वो बेचारे आंसू, बेघर हुए दर दर भटकते वो बन्जारे आंसू!

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